Wednesday, 12 June 2013

कौन है "पुरुष" ??? ---- Bitter Truth.

कौन है "पुरुष" ??? 

भगवान की ऐसी रचना जो बचपन से ही त्याग और समझौता करना सीखता है ।

वह अपने चॉकलेटस का त्याग करता है बहन के लिये ।

वह अपने सपनो का त्याग कर माता-पिता की खुशी के लिये उनके अनुसार कैरियर चुनता है।

वह अपनी पुरी पॉकेट मनी गर्ल फ़्रेंड के लिये गिफ़्ट खरीदने में लगाता है ।

वह अपनी पुरी जवानी बीवी-बच्चों के लिये कमाने में लगाता है ।

वह अपना भविष्य बनाने के लिये लोन लेता है और बाकी की ज़िंदगी उस लोन को चुकाने में लगाता है ।

इन सबके बावजुद वह पुरी ज़िंदगी पत्नी, माँ और बॉस से डांट सुनने में लगाता है

पुरी ज़िंदगी पत्नी, माँ, बॉस और सास उस पर कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं ।

उसकी पुरी ज़िंदगी दुसरो के लिये ही बीतती है ।


बेचारा पुरुष..........


बीबी से मार खाये तो "बुजदिल" ।

बीबी पर हाथ उठाये तो "बेशर्म" ।

बीबी को किसी और के साथ देख कर कुछ कहे तो "शक्की" ।

चुप रहे तो "डरपोक" ।

घर से बाहर रहे तो "आवारा" ।

घर में रहे तो "नाकारा" ।

बच्चों को डांटे तो "ज़ालिम" ।

बच्चों को ना डांटे तो "लापरवाह" ।

बीबी को नौकरी करने से रोके तो "शक्की" ।

बीबी को नौकरी करने दे तो बीबी की "कमाई खाने वाला" |

माँ की माने तो "चम्मचा" ।

बीबी की माने तो "जोरु का गुलाम" ।


पुरी ज़िंदगी समझौता, त्याग और संघर्ष में बिताने के बावजुद वह अपने लिये कुछ नहीं चाहता । इसलिये एक पुरुष की हमेशा इज़्ज़त करें । एक पुरुष बेटा, भाई, बॉय फ़्रैंड, पति, दामाद, पिता हो सकता है, | जिसका जीवन हमेशा मुश्किलों से भरा हुआ है।