मनुष्य के लिए सबसे बड़ा शिक्षक है - जीवन |
अन्तरात्मा चाहे कितनी भी शुद्ध क्यूँ ना हो, विचार चाहे कितने भी सच्चे क्यूँ ना हो, आचरण चाहे कितना भी पवित्र क्यूँ ना हो, भावनात्मक तौर पर चाहे कितने ही सदभावी क्यूँ ना हो, इन सबके अलावा भी कई बाते जीवन के कई पहलुओं के लिए महत्वपूर्ण होती है |
उच्च शिक्षा, विद्वता, लेखन इत्यादि कला-कौशल, वाकचातुर्यता, भाषणकला, आदि गुणों के साथ रूप व उच्च पद का भी जीवन में अत्यन्त ही महत्त्व होता है | इस सभी गुणों के बिना जीवन घनघौर काली अंधियारी रात की तरह होता है जिसे सुहानी खूबसूरत रोशन सुबह कभी स्वीकार नहीं कर पाती | इन कमियों की वजह से मनुष्य को जीवन में कई बार उपहास का पात्र भी बनना पड़ता है |
लेकिन इन सबके बावजूद मनुष्य को अपना धेर्य नहीं खोना चाहिए | ना ही उपहास करने वाले व्यक्तियों के प्रति कोई द्वेष भाव लाना चाहिए | सबके प्रति पूर्ववत प्रेमभाव बनाए रखना ही श्रेयस्कर होता है | मनुष्य को अपनी कमियों को पहचान कर उन्हें स्वीकार करने की हिम्मत दिखानी चाहिए | ढूंढ़ ढूंढ कर गड्ढे में गिरने वाला मनुष्य फिर से उठता है, सम्भलता है, खडा होता है, चलता है, और दौड़ता है | उपहास व असफलता को अपनी कमियों को दूर करने के लिए एक प्रोत्साहन व चुनौती के रूप में स्वीकार करना चाहिए |
"खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले ख़ुदा बन्दे से खुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है"
उपहास व असफलता जीवन का अन्त नहीं है | यह तो वह पहली सीढी है जहां से मंजिलों के रास्ते खुलते हैं | ये वो सीख है जो कहीं और से नहीं मिल सकती | इसे ग्रहण करना चाहिए | इससे सीखना चाहिए | और आत्मविश्वास के साथ कमियों को दूर करने की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए |
कोई व्यक्ति अगर कहे कि वह सम्पूर्ण है या फिर हमेशा जीतता ही आया है तो वह सरासर झूठ बोल रहा है | कोई भी व्यक्ति सफलता के शिखर पर हारने के बाद ही पहुँचता है | हार, उपहास, असफलता ही उसके मन में जीतने के लिए कोशिश करने का जज्बा पैदा करती है | अपने "लक्ष्य" को प्राप्त करने के जूनून को और पुख्ता करती है | चाणक्य व अब्राहम लिंकन की तरह धुन का पक्का होना पड़ेगा |
मनुष्य में अगर जज्बा है तो वह एक राह क्या, वह दस रास्ते खोज लेगा अपनी "मन्जिल" तक पहुँचने के लिए, बस खुद पर एतबार होना चाहिए | यह सही है बाधाये मनोबल गिराती है | बाधाओं को रुकावट तो माना जा सकता है लेकिन इन्हें समाप्ति मानने की भूल मनुष्य को कदापि नहीं करनी चाहिए | इन्हें चुनोती मानकर मनुष्य को अपने "लक्ष्य" को प्राप्त करने के लिए नए सिरे से प्रयास शुरू करना चाहिए |
दिल दिमाग चित्त व आत्मा को शान्त रखकर, अध्ययन मनन करते हुए, सफलता पाना ही है इस सोच के साथ अपने "लक्ष्य" को प्राप्त करने के प्रयास जारी रखना चाहिए |
|| "हम" होंगे कामयाब ||