Thursday, 30 August 2012

First Poem

‪हमने प्यार किया है, आपके अन्दर की उस खुबसूरत नेक पवित्र और सच्ची आत्मा से | बाहरी रूप की तारीफ करने वालो की भीड़ में, हम शामिल नहीं | 

हम भी कर सकते है, आपके योवन के, हर रूप, हर अंग, और हर अदा, का बयान श्रृंगार रस में , लेकिन भीड़ में, हम शामिल नहीं | 

हम आपके योवन व रूप का बयान कुछ इस तरह करे, कि आपकी आत्मा मचल उठे हमारी आत्मा के साथ एकाकार होने के लिए , लेकिन भीड़ में, हम शामिल नहीं | 

पूरी दुनिया तो दे नहीं सकते हम आपको, लेकिन आप ही हमारी पूरी दुनिया हो , लेकिन भीड़ में, हम शामिल नहीं | 

हज़ारो दोस्तों , चाहनेवालो , और प्रशंषको की ख्वाहिश हमको नहीं , एक कोहिनूर लाखो पथ्थरो से कई गुना कीमती , लेकिन भीड़ में, हम शामिल नहीं | 

आपकी चंचल और शोख अदाए , कोयल जैसी वाणी , छरहरा बदन , मृगनयनी आँखे , आत्मानुभूति व सुखानुभूति का शिखर , लेकिन भीड़ में, हम शामिल नहीं | 

लज्जा से भरी पलके , लाल कपोल , जादूरस भरे अधर , आपकी कातिल मुस्कान , हर्ष व उल्लास का प्रतिबिम्ब , लेकिन भीड़ में, हम शामिल नहीं | 

आपका रूठ जाना , गुस्सा दिखाना, हमें रुलाना , हमारा आपको मनाना , कभी पास आना , कभी दूर जाना , यही तो जीवन है , लेकिन भीड़ में, हम शामिल नहीं | 

मृगतृष्णा का कोई अंत नहीं , इस कलयुग में कोई सच्चा संत नहीं , लेकिन भीड़ में. हम शामिल नहीं | 

तितलियों को कैद करना हमारी फितरत नहीं , कैद में रहना तितलियों की फितरत नहीं , लेकिन भीड़ में, हम शामिल नहीं | 

जी लो जीवन, जैसे जीना चाहो, कोई पल - कोई ख़ुशी, छोड़ ना देना, हर इच्छा - हर सपना, जी लेना, जब भी पड़े जरुरत पूकार लेना, लेकिन भीड़ में, हम शामिल नहीं|....

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